Sunday, November 20, 2011

उनसे मुलाक़ात का असर.....! .......................................!!

एक नज़र उसकी कहर ढाती है, 
एक कदम उसकी चाल लहराती है!!

 
दुआ देते हैं हम दीवाने जब तू आती-जाती है, 
गिरतें-उठते हैं लोग और तू हस्ती जाती है!!

कोई मन-ही-मन में हजारों बातें कर लेता है, 
कोई आँखों-आँखों में मुलाकात कर लेता है!!

 
बड़ी मुश्किल होता है उन्हें समझाना, जब

कोई ख़मोश रहकर भी सवाल कर जातें है!!

कुछ मदहोशी तो उसकी बातों की है, 
कुछ नशा तो धीमी बरसात का है !!

 
अरे यारों हमें तुम युही शराबी ना समझो, 
ये दिल पर असर तो उनसे मुलाक़ात का है!! 

ये तो दिल का कसूर है मेरा नहीं यारों जो,

रहता है मेरे सीने में बन के किसी और का यारों!!
  
ना खुदा दिल बनता, ना किसी-को-किसी से प्यार होता, 
ना किसी की याद अति ना किसी का इंतजार होता!!


चालों यारों अब क्या करना.........!
 
जब खुदा ने दिल दिया है तो इसे संभाल के रखों,
ये शीशे से भी नाजूक है, इसे पत्थर से दूर रखना!! 


Sunday, October 30, 2011

जगा देना मुहब्बत के नींद से ....................................!!

वो अरसों से कहती हैं की उन्हें मुझसे मुहब्बत है,
बाद मुद्दत के अब मुझे भी लगा की उनसे मुहब्बत है!!

मैंने उनसे कहा था मुहब्बत तो है मुझे भी तुमसे,
पर यूँ मुझे कभी सोते हुए छोड़ कर मत जाना !!



जगा देना अपनी मुहब्बत के नींद से .....!!

अगर तुम्हे कभी रास्ते बदलना हो तो बता देना,
ना बता कर तुम कभी यूँही सजा मत देना !!

मगर मुझे नहीं मालुम था की मुहब्बत में,
यूँ लोग अचानक कब रास्ते बदल जाते हैं !!

अब उनको ही देखो कहती थी मुहब्बत है,हमसे
पर ना जाने क्या डर था उनको हमसे !!


मेरे लाख कहने के बाद वो रस्ते बदल दिए,
मैं बस सोता ही रहा उनके मुहब्बत के नींद में !!


ना जाने क्या डर उनको हमारे मुहब्बत में,
बिना बताये रास्ते बदल दिए पल भर में !!


शायद उन्हें डर रहा होगा जबर्दस्ती रोकने का ,
क्या उन्हें पता नहीं मुहब्बत में इनके जगह नहीं !!

वो तो चली गई किसी और के रास्ते बिना बातये,
पर उन्हें क्या पता मेरी दर्दे-हालात क्या है !!

काश क्या मैं अब लौट सकूँगा अपने रास्ते ?
क्या बताऊँ अब ये तो मुझे भी ना पता !!

कहाँ हैं अपने रास्ते......................!!

Saturday, October 22, 2011

दोस्ती में वफाई तो करना होगा ........................................!!

दोस्ती का जो किया करते हैं दावा हर वक़्त,
वक़्त पड़ता है तो सब आँख चुरा लेते हैं!!

मैं हैरान हूँ की क्यों उन से हुई थी दोस्ती अपनी,
मुझे कैसे गवारह हो गयी थी दुश्मनी अपनी !!

दोस्तों से इस क़दर सदमे उठाए जान पर, की  
दिल से दुश्मन की अदावत का गिला: ना रहा !! 

अब जब फूलों ने की हमसे बे-वफाई तो, 
अब मैं कैसे करूँ कांटो से सिकायत अपनी!! 

अब जब फूलों ने चुभो दिए खान्ज्हर सीने में मेरे,
तो मैं कांटो से क्या करूँ उमीदे-वफ़ा चाहत्त की !! 

अब तो हमे फूलों से अछे काँटों की दोस्ती ही लगती,
कम से कम कांटे तो बदनाम है दर्द देने के लिए !! 

हमे तो मालूम था की दोस्ती में बे-वफाई नहीं होती!

पर क्या करे दोस्ती की है तो वफाई तो करना होगा, 
दोस्ती में दोस्त के दिए हर दर्द तो सहना होगा...!!

............................Mishra...............................!!
 

Thursday, October 20, 2011

चाँद सी सनम अपनी ..............................................!!

ए सनम जिस खुदा ने तुझे चाँद सी सूरत दी है,
उसी खुदा ने मुझ को भी तुमसे मोहब्बत दी है !!

दिल-व-जान, दीन-ओ-ईमान जो लेना है सनम लेलो,
करेंगे देर देने में ना हम, चाहो तो क़सम लेलो !!

मेरा जो दिल है सनम खानाः है हसीनो के
हज़ारों सूरतें हैं इसमें मगर एक बस्ती है !!

उलट दे ए सनम तू नकाब-ए-रुख को चेहरे से,
कभी तो देख लें हम जड़ा तुम्हारी सूरत!!

बला से जो दुश्मन हुआ है किसी का,
वो काफ़िर सनम क्या खुदा है किसी का!!
.................Mishra........................!!

Sunday, October 16, 2011

वफ़ा होती तो क्या होता ...........................................!!

कितने ही कठिन लम्हे आये मेरी हस्ती में,
अफ़सोस वफ़ा मेरी मुझ को ही न रास आई !!

हम को उनसे वफ़ा की है उम्मीद,
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है !!

कल तक तो आशना थे मगर आज ग़ैर हो,
दो दिन में यह मिज़ाज है आगे तो खैर हो !!

जब इतनी बेवफाई पर दिल उसको प्यार करता है,
तो या-रब वह सितमगर बा-वफा होता तो क्या होता !!
तेरी इसी बेवफाई पर फ़िदा होती है जान अपनी,
खुदा जाने अगर तुझमें वफ़ा होती तो क्या होता !!

सच्चे तो कोई ज़ात खुदा के सिवा नहीं,
बुत थे मज़े की चीज़ मगर बा-वफ़ा नहीं !!
..................
Mishra..........................!!

Saturday, October 8, 2011

सुनो ए चाँद सी लड़की.......! ...................................................................!!!

सुनो ए चाँद सी लड़की ....
अभी तुम तितलियाँ पकड़ो, 

या फिर गुड़ियों से खेलो तुम,
या फिर मासूम सी आँखों से,
ढेरों सारा ख्वाब देखो तुम !!

फ़र्ज़-ओ-फैज़-ओ-मोहसिन, 
की किताबें मत अभी पढना,  
ये सब शब्दों के साहिर हैं !! 


ये तुम्हें उल्झा के रख देंगी,
अभी तुम्हें मालूम ही कहां है !!

अभी तुम नहीं जानती ये मुहब्बत के शब्दों में 
हवस और हिज्र होती है, जो तुम्हे तोड़ देगी !
 ऐ चाँद सी लड़की ........

ये इंसानों की बनाई दुनियां है,
मगर इन से कहीं बढ़ कर
यहाँ वहशी-दरिन्दे बस्तें हैं !

ये वो वहशी-दरिन्दे की बस्ती हैं,
जिन की आँखों में मचलते प्यार हैं!


मगर इस मचलते प्यार के पीछे, 
हवस और हिज्र के शिवा कुछ नहीं होता है !


प्यार तो सिर्फ इनके आँखों में होता है दिखाने के लिए,
अभी तुम नहीं जानते इन्हें, अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है !!


तुम्हे क्या पता हवस और प्यार के बीच की वो संगीन दूरियां,
ऐ चाँद सी लड़की अभी दूर ही रहो इस दुनिया से तुम !!
 

अभी काची कली हो तुम,
अभी काँटों से मत खेलो!! 

अभी अपनी हथेली पर,
किसी का नाम मत लिखो !!

अभी अपनी किताबों में,
गुलाबी पंखरियाँ मत रखो !
  
अभी शेरों-सायरी में मत उलझो तुम, 
अभी तो तुम्हारी सारी उम्र बांकी है !!

अभी तो तुम्हारे दुपट्टे सम्मभालनें के दिन हैं,
अभी से इसे मत गिराओ तुम, ऐ चाँद सी लड़की 
अभी खुद को सम्भालो तुम !!  

अभी मत गुनगुनाओ तुम, 
अभी मत सुनाओ तुम !!


अभी से इश्क मत सोचो तुम,
अभी तुम्हारी उम्र क्या है,
ऐ चाँद सी लड़की  !!


अभी मत जागो रातों को, ये रात बहुत तन्हा होती है,
ये तुम्हे तन्हाईयों के सिवा कुछ और क्या देगा !!


चन्द तारों के भीड़ में तुम्हे लगेगा सकूँ मिल रहा है,
मगर तुम अभी क्या जानो, ये तन्हा तारें तुम्हे और तन्हा कर देगा !


जा के पूछो किसी मुहब्बत करने वालों से,ऐ चाँद सी लड़की,
अभी मत जागों रातों को ,ऐ चाँद सी लड़की !!


अभी तुम क्या जानती हो मुहब्बत की दुनियां को,
जा के पूछो इस दुनियां में रहने वालों को, ये
दुनिया वाहर से जितनी तुम्हे रंगीन दिखती है,
उतनी ही ये उल्ल्झी है गमें-सीत्म्मगीरी से !!


ऐ चाँद सी लड़की अभी तुम दूर ही रहो,
इस मुहब्बत की दुनियां से अभी उम्र ही क्या है !!
   
अबी सब भूल जाओ तुम, 
सुनो ऐ चाँद सी लड़की  !!


..........Mishra...........!!


This post is dedicated to
one of my good friend!
Now days she's searching 
4true love..........!!

Thursday, September 22, 2011

क्या दिन थे मोहब्बत के ......................!! ........................................................

...........Love Never Die........ 
अजब दिन थे मोहब्बत के
वो अजब दिन थे रफ़ाक़त(Closeness)के,

कभी अगर याद आ जायें तो
पलकों पे सितारे झिल्मीलाते हैं !

किसी की याद में रात को अक्सर
जागना मांमुल था अपना ,

कभी अगर नींद आ भी जाती,तो
हम ये सोच लेते थे,अभी तो वो

हमारे वास्ते रोया नहीं होगा
अभी तो सोया नहीं होगा !
अभी हम भी नहीं रोते,
अभी हम भी नहीं सोते,

और फिर हम जागते थे,
और उसको याद करते थे !

अकेले बैठ कर वीरान दिल आवाद करते थे !

हमारे सामने तारों की झुरमुट में,
अकेला चाँद होता था,जो उसके
हुस्न के आगे बहुत ही माद(feeka) होता था !
पलक पर रस्क करते अन्गिनत रौशन सितारों को,

जो हम तर्तीब(combine)देते थे, तो उसका नाम बनता था !

हम अगले रोज जब मिलते थे, तो
गुजरे रात की हर वे-कली का जिक्र करते थे,
हर एक किस्सा सुनाते थे !

कहाँ किस वक़्त किस तरह से,
दिल धड़का तुम्हे याद करके बताते थे !

मैं जब कहता की जाना ,आज तो
मैं रात को एक पल भी नहीं सोया,
तो वो बीना कुछ कहे खामोश रहती थी!

पर उसकी नींद में डूबी दो झील सी आँखे,
अचानक बोल उठती थी , की तुम झूठ कहते हो!

मैं जब उसको बताता था,की मैंने
रात के रौशन सीतारों में तुम्हारा नाम देखा है,तो

वो कहती तुम झूठ कहते हो, सितारें तो मैंने देखी थी,
और उसमे तुम्हारा नाम लिखा देखा था !

क्या अजब मासूम लड़की थी
मुझे कहती थी लगता है, अब
अपने सितारें मिल ही जायेंगे !

मगर उसको क्या खबर थी ?
किनारे मिल नहीं सकती ,
मोहब्बत के कहानी में !

मोहब्बत करने वालों के,
सितारें मिल नहीं सकते,
मोहब्बत की कहानी में !

मगर मुझे मालूम है की
मोहब्बत करने वालों के,
सितारें कभी मुरझा नहीं सकते,
मोहब्बत की कहानी में !!!

क्या वो अजब मासूम लड़की थी !!
..........Mishra......................!!!
































Wednesday, August 24, 2011

बात चली तेरी आँखों से ...!!

बात चली तेरी आँखों से 
जा पहुंची पैमाने तक !

खींच रही है तेरी उल्फत 
आज मुझे मैख़ाने तक !

इश्क की बातें गम की बातें
दुनया वाले करते हैं  !

किसने शम्मा का दुःख देखा 
कोन गया परवाने तक !

इश्क नहीं है तुम को मुझसे 
सिर्फ इश्क के बहाने करती हो !
  
यूं ही बहाने कायम रखना 
तुम मेरे मर जाने तक !

इतना ही कहना है तुमसे 
मुमकिन हो तो आ जाना!
  
अब आही गये तो रुकना होगा 
आँखों के पथराने तक !

बात चली तेरी आँखों से!
जा पहुंची पैमाने तक !
....................Mishra !

Wednesday, June 1, 2011

जुदाई.......... !!

जुदा होके उनसे हम बिखर से गये,
बिखरे आंसू के मोती हम पिरो ना सके,
तेरी याद में सारी रात सो ना सके !


बह ना जाये आंसू में तस्वीर तेरी 
बस यही सोच कर हम रो ना सके !


वो मील जाते हैं कहानी बनकर 
दिल में बस जाते हैं निशानी बनकर! 


जिन्हें हम रखते हैं अपनी आखो में 
क्यूँ निकल जाते हैं वो पानी बनकर?


ख्यालों को किसी आह्ट की आस रहती है 
निगाहों को तेरी तलाश रहती है !


तेरे बिना कोई कमी नहीं लेकिन 
तेरे बगैर तबियत उदास रहती है! 


समझा ना कोई दिल की बात को, 
दर्द दुनिया ने बिन सोचे ही दे दिया! 


सह गए जो हम अगर दर्द को चुपके से,
तो फिर हमको पत्थर दिल कह दिया! 


अगर हम ना होते तो गज्ज़ल कोन कहता,
आपके चेहरे को कोमल कोन कहता !


ये तो करिश्मा है मोहब्बत का,
वर्ना पत्थर को ताज-महल कोन कहता! 


दर्द से दोस्ती हो गयी यारों, 
ज़िन्दगी बेदर्द हो गयी यारों ! 


क्या हुआ जो जल गया आशियाना हमारा, 
दूर तक रौशनी तो हो गयी यारों !
........................Mishra......................................!

Saturday, April 30, 2011

Last day of my college......

लो अपना जहाँ दुनिया वलों,
हम इस दुनिया को छोर चलें !

जो रिश्ते नाते जोरे थे वो,
रिश्ते नाते तोर चलें !



कुछ सुख के सपने देख चले,
कुछ दुःख के सदमे झेल चले !


तकदीर की आंधी गर्दिश ने,
जो खेल खिलाय अब खेल चले!


हर चीचें तुम्हारी लोटादी, हम
लेके नहीं कुछ साथ चले!


फिर दोष ना देना,ए लोगों
हम देख लो अब खली हाथ चले!


ये राह अकेले कटती है,
यहाँ साथ ना कोई यार चले!


उस पार ना जाने क्या पायें,
इस पार तुझे सब हार चले !


लो अपना जहाँ ये दुनिया वालों,
फिर दोष ना देना ऐ -लोगों !!! 


ये दोस्त लो अब तुम्हे छोर चले,
बस अब तेरी यादें हम ले चले !
पर साथ ना कोई यार चले.....!
Mishra............................!

Tuesday, February 8, 2011

आओ तो सही .........................


आओ तो  कभी  देखो  तो  जरा 
हम  कैसे  जिए  तेरी  खातीर!
दिन रात जलाये बैठे हैं 
आँखों के दिए तेरी खातीर!

आओ तो कभी देखो तो जरा 
हम कैसे जिए तेरी खातीर!
....................................
एक नाता तुझसे जोर लिया 
सब अपनों से मुह मोड़ लिया!

हम तन्हा होकर बैठ गए 
सब छोर दिए तेरी खातीर!

आओ तो कभी देखो तो जरा
हम कैसे जिए तेरी खातीर !
........
कुछ आहें थी कुछ सीक्वे थे
होंठों पर जिन्हें आने ना दिया !

जो आँख के रस्ते भी आये  
सब अस्क पीये तेरी खातीर !

आओ तो कभी देखो तो जरा 
हम कैसे जिए तेरी खातीर !
.........
बदनाम ना तू हो जाये कहीं 
इन अपनी जफवों के बदले !

बिन तेरे गमो पे खुशओं के   
सों(100) परदे किये तेरी खातीर !

आओ तो कभी देखो तो जरा
हम कैसे जिए तेरी खातीर !
..........
मेरे खूने जिगर का दाग कहीं  
दामन पे तेरे ना लग जाये कहीं !

एक एहदे वफ़ा के धागे से
सब ज़ख्म सिये तेरी खातीर ! 

आओ तो कभी देखो तो जरा 
हम कैसे जिए तेरी खातीर !
.............
हम सब कुछ अपना हार गए 
बर्वाद हुए पर तू ना मीला !

बेकार जहाँ में जीने के  
इल्जाम लीए तेरी खातीर ! 

आओ तो कभी देखो तो जरा 
हम कैसे जिए तेरी खातीर !
दिन  रात जलाये बैठे हैं 
आँखों क दिए तेरी खातीर !

आओ तो कभी देखो तो जरा 
हम कैसे जिए तेरी खातीर !
...........collection  ATTAULLA KHA................. !

Time & Luck.................

कभी नजरें मिलाने में ज़माने बीत जाते हैं
कभी नजरें चुराने में ज़माने बीत जाते हैं!

किसी ने आंख भी खोली तो सोने की नगरी में
कीसी को घर बनाने में ज़माने बीत जाते हैं!

कई काली सिआह रातें हमें इक पल की लगती हैं
कभी इक पल बिताने में ज़माने बीत जाते हैं!


कभी खुला दरवाज़ा खरी थी सामने मंजिल
कभी मंजिल को पाने में ज़माने बीत जाते हैं!


इक पल में टूट जाते हैं उमर भर के रिश्ते
वो रिश्ते जो बनाने में ज़माने बीत जाते हैं!

................Mishra............................

Monday, January 24, 2011

ALWAYS ....THINK +VE.........................

हम सभी जानते हैं की
इस संसार के लोग मतलबी हैं 
सब अपने ही बारे में सोचते हैं 
ओ जो भी हैं उन्हें प्यार करो !


अगर तुम अच्छा करोगे तो
लोग तुम्हें मतलबी कहेंगे 
जो भी कहें, लोग तुम्हें
तुम हमेशा अच्छा करो!


अगर तुम जीवन में कामयाब हो तो
तुम्हें बहूत छुट्टे दोस्त भी मिलेंगे 
कुछ दुश्मन भी मिलेंगे,मगर सच्चे मिलेंगे
जो भी हो और कामयाब बनो !


तुम्हारा आज का अछाई
कल भुला दिए जायेंगे ,
जो भी हो अच्छा करो !


तेरा ईमानदारी और खुलेपन से 
तुम्हारा लोग मजाक भी उड़ायेंगे 
जो भी हो इमानदार बनो !


बड़ा सोचने वाले बड़ा कहलाते हैं
छोटे लोगों की सोच भी छोटी ही होती है
इसलिए जो भी हो हमेशा बड़ा सोचो !


जो मंजिल तुमने कई रातों की नींद 
उड़ा कर वर्षों में खरा किये हो
शायद एक रात में ही गिर जाये
जो भी हो कभी हर ना मनो !


इस संस्सर में लोगों को
सही में मद्त चाहिए, उन्हें  
मद्त  करो तो शिकायत करेंगे
जो भी हो तुम उनकी मदद करो !


संसार को अपना कीमती वक़्त दो 
हो सकता है तुम्हे कुछ ना मिले
मगर जो भी हो संसार को अपना 
ओ सब दो जो तेरे पास है !

सिर्फ तुम्हारे लिए .....................................


जब से तुम्हे देखा है जी करता है
कुछ ना कुछ लिखूँ !


तेरे गालों पे लिखूँ 
चाहें बालों पे लिखूँ
तेरे लबों पे लिखूँ
चाहे नैनों पे लिखूँ !


मगर कुछ ना कुछ लिखूँ ऐसा,
जैसा किसी ने ना लिखा हो,
तुमहारे लिए !


तेरा चेहरा फूलों की तरह खूबसूरत है
तेरे होंठ गुलाब की पंखुड़ियों से नरम है
तेरे गालों के उभार, मानो छोटे-छोटे पर्वतों की शिखाएँ है
तेरी आँखे झीलों सी निर्मल,समुन्द्र सी गहरी है
तेरी बातों में एक अजब सी जादुगरी है !


मगर यह सब तो पहले ही लिख चुके हैं
बहुत से कवि, मैं तो लिखना चाहता हूँ
कुछ नया जो सिर्फ तुम्हारे लिए हो !


सिर्फ तुम्हारे लिए,
जैसे मैं हूँ सिर्फ तुम्हारे लिए !


मगर जानें क्यूँ कुछ भी नहीं सूझ रहा
मेरी कलम भी आज खामोश है
शायद नहीं बचा अब कुछ भी नया
तुमहारे लिए !


या फिर
तुम्हे शब्दों में पीरों पाना संभव नहीं
कम से कम मेरे लिए !


मगर फिर भी मैं कोशिश करूंगा
कुछ ना कुछ नया लिखने की
तुम्हारे लिए !


क्योंकि मेरा जी करता है लिखूँ
कुछ ना कुछ नया
तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिए !

DIL KI AWAZ>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>

ये तो धड़कन का कसूर है,
जो जिन्दा होने का एहद कराती है !

मौत आये मुझे बरसो गुजरें,
बस यूँही सांस आती जाती है!


सैकड़ों खंजर हैं मेरी छाती में,
खूँ का कतरा नहीं है कोई मगर !


काश समझ पाते ये लोग यहाँ,
कलम स्याही कहाँ से लाती है ?


बैठे हैं यहाँ आज मेरी महफ़िल में,
इस शहर के समझदार कई ,
हर शेर पे बहुत खूब कहते हैं,
जाने कैसे इन्हें हर बात समझ आती है !


मेरा साया मुझको हर शाम एक वही पुराना सवाल दे जाता है,
सारा दिन मुट्ठी कस कर रखी थी बंद मैंने ये रेत कैसे सरक जाती है?
------------------------------------------MISHRA--------------------------------------------