Sunday, October 30, 2011

जगा देना मुहब्बत के नींद से ....................................!!

वो अरसों से कहती हैं की उन्हें मुझसे मुहब्बत है,
बाद मुद्दत के अब मुझे भी लगा की उनसे मुहब्बत है!!

मैंने उनसे कहा था मुहब्बत तो है मुझे भी तुमसे,
पर यूँ मुझे कभी सोते हुए छोड़ कर मत जाना !!



जगा देना अपनी मुहब्बत के नींद से .....!!

अगर तुम्हे कभी रास्ते बदलना हो तो बता देना,
ना बता कर तुम कभी यूँही सजा मत देना !!

मगर मुझे नहीं मालुम था की मुहब्बत में,
यूँ लोग अचानक कब रास्ते बदल जाते हैं !!

अब उनको ही देखो कहती थी मुहब्बत है,हमसे
पर ना जाने क्या डर था उनको हमसे !!


मेरे लाख कहने के बाद वो रस्ते बदल दिए,
मैं बस सोता ही रहा उनके मुहब्बत के नींद में !!


ना जाने क्या डर उनको हमारे मुहब्बत में,
बिना बताये रास्ते बदल दिए पल भर में !!


शायद उन्हें डर रहा होगा जबर्दस्ती रोकने का ,
क्या उन्हें पता नहीं मुहब्बत में इनके जगह नहीं !!

वो तो चली गई किसी और के रास्ते बिना बातये,
पर उन्हें क्या पता मेरी दर्दे-हालात क्या है !!

काश क्या मैं अब लौट सकूँगा अपने रास्ते ?
क्या बताऊँ अब ये तो मुझे भी ना पता !!

कहाँ हैं अपने रास्ते......................!!

Saturday, October 22, 2011

दोस्ती में वफाई तो करना होगा ........................................!!

दोस्ती का जो किया करते हैं दावा हर वक़्त,
वक़्त पड़ता है तो सब आँख चुरा लेते हैं!!

मैं हैरान हूँ की क्यों उन से हुई थी दोस्ती अपनी,
मुझे कैसे गवारह हो गयी थी दुश्मनी अपनी !!

दोस्तों से इस क़दर सदमे उठाए जान पर, की  
दिल से दुश्मन की अदावत का गिला: ना रहा !! 

अब जब फूलों ने की हमसे बे-वफाई तो, 
अब मैं कैसे करूँ कांटो से सिकायत अपनी!! 

अब जब फूलों ने चुभो दिए खान्ज्हर सीने में मेरे,
तो मैं कांटो से क्या करूँ उमीदे-वफ़ा चाहत्त की !! 

अब तो हमे फूलों से अछे काँटों की दोस्ती ही लगती,
कम से कम कांटे तो बदनाम है दर्द देने के लिए !! 

हमे तो मालूम था की दोस्ती में बे-वफाई नहीं होती!

पर क्या करे दोस्ती की है तो वफाई तो करना होगा, 
दोस्ती में दोस्त के दिए हर दर्द तो सहना होगा...!!

............................Mishra...............................!!
 

Thursday, October 20, 2011

चाँद सी सनम अपनी ..............................................!!

ए सनम जिस खुदा ने तुझे चाँद सी सूरत दी है,
उसी खुदा ने मुझ को भी तुमसे मोहब्बत दी है !!

दिल-व-जान, दीन-ओ-ईमान जो लेना है सनम लेलो,
करेंगे देर देने में ना हम, चाहो तो क़सम लेलो !!

मेरा जो दिल है सनम खानाः है हसीनो के
हज़ारों सूरतें हैं इसमें मगर एक बस्ती है !!

उलट दे ए सनम तू नकाब-ए-रुख को चेहरे से,
कभी तो देख लें हम जड़ा तुम्हारी सूरत!!

बला से जो दुश्मन हुआ है किसी का,
वो काफ़िर सनम क्या खुदा है किसी का!!
.................Mishra........................!!

Sunday, October 16, 2011

वफ़ा होती तो क्या होता ...........................................!!

कितने ही कठिन लम्हे आये मेरी हस्ती में,
अफ़सोस वफ़ा मेरी मुझ को ही न रास आई !!

हम को उनसे वफ़ा की है उम्मीद,
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है !!

कल तक तो आशना थे मगर आज ग़ैर हो,
दो दिन में यह मिज़ाज है आगे तो खैर हो !!

जब इतनी बेवफाई पर दिल उसको प्यार करता है,
तो या-रब वह सितमगर बा-वफा होता तो क्या होता !!
तेरी इसी बेवफाई पर फ़िदा होती है जान अपनी,
खुदा जाने अगर तुझमें वफ़ा होती तो क्या होता !!

सच्चे तो कोई ज़ात खुदा के सिवा नहीं,
बुत थे मज़े की चीज़ मगर बा-वफ़ा नहीं !!
..................
Mishra..........................!!

Saturday, October 8, 2011

सुनो ए चाँद सी लड़की.......! ...................................................................!!!

सुनो ए चाँद सी लड़की ....
अभी तुम तितलियाँ पकड़ो, 

या फिर गुड़ियों से खेलो तुम,
या फिर मासूम सी आँखों से,
ढेरों सारा ख्वाब देखो तुम !!

फ़र्ज़-ओ-फैज़-ओ-मोहसिन, 
की किताबें मत अभी पढना,  
ये सब शब्दों के साहिर हैं !! 


ये तुम्हें उल्झा के रख देंगी,
अभी तुम्हें मालूम ही कहां है !!

अभी तुम नहीं जानती ये मुहब्बत के शब्दों में 
हवस और हिज्र होती है, जो तुम्हे तोड़ देगी !
 ऐ चाँद सी लड़की ........

ये इंसानों की बनाई दुनियां है,
मगर इन से कहीं बढ़ कर
यहाँ वहशी-दरिन्दे बस्तें हैं !

ये वो वहशी-दरिन्दे की बस्ती हैं,
जिन की आँखों में मचलते प्यार हैं!


मगर इस मचलते प्यार के पीछे, 
हवस और हिज्र के शिवा कुछ नहीं होता है !


प्यार तो सिर्फ इनके आँखों में होता है दिखाने के लिए,
अभी तुम नहीं जानते इन्हें, अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है !!


तुम्हे क्या पता हवस और प्यार के बीच की वो संगीन दूरियां,
ऐ चाँद सी लड़की अभी दूर ही रहो इस दुनिया से तुम !!
 

अभी काची कली हो तुम,
अभी काँटों से मत खेलो!! 

अभी अपनी हथेली पर,
किसी का नाम मत लिखो !!

अभी अपनी किताबों में,
गुलाबी पंखरियाँ मत रखो !
  
अभी शेरों-सायरी में मत उलझो तुम, 
अभी तो तुम्हारी सारी उम्र बांकी है !!

अभी तो तुम्हारे दुपट्टे सम्मभालनें के दिन हैं,
अभी से इसे मत गिराओ तुम, ऐ चाँद सी लड़की 
अभी खुद को सम्भालो तुम !!  

अभी मत गुनगुनाओ तुम, 
अभी मत सुनाओ तुम !!


अभी से इश्क मत सोचो तुम,
अभी तुम्हारी उम्र क्या है,
ऐ चाँद सी लड़की  !!


अभी मत जागो रातों को, ये रात बहुत तन्हा होती है,
ये तुम्हे तन्हाईयों के सिवा कुछ और क्या देगा !!


चन्द तारों के भीड़ में तुम्हे लगेगा सकूँ मिल रहा है,
मगर तुम अभी क्या जानो, ये तन्हा तारें तुम्हे और तन्हा कर देगा !


जा के पूछो किसी मुहब्बत करने वालों से,ऐ चाँद सी लड़की,
अभी मत जागों रातों को ,ऐ चाँद सी लड़की !!


अभी तुम क्या जानती हो मुहब्बत की दुनियां को,
जा के पूछो इस दुनियां में रहने वालों को, ये
दुनिया वाहर से जितनी तुम्हे रंगीन दिखती है,
उतनी ही ये उल्ल्झी है गमें-सीत्म्मगीरी से !!


ऐ चाँद सी लड़की अभी तुम दूर ही रहो,
इस मुहब्बत की दुनियां से अभी उम्र ही क्या है !!
   
अबी सब भूल जाओ तुम, 
सुनो ऐ चाँद सी लड़की  !!


..........Mishra...........!!


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