क्या बताऊँ यारों अब बताने को कुछ भी नहीं,
ना अब वो दिन है ना वो रात ही रही !
अजीब सी उलझन में ज़िन्दगी उलझी है मेरी,
कभी गम है अपना साया तो कभी बेनाम सी ख़ुशी है,
ना अब वो हैं, ना वो अब मैं हूँ !
किस पे करूँ भरोसा किस से करूँ शिकवा,
चाहा तो सभी ने पर अपने अपने ढंग से,
रंग तो गया मैं सभी से, पर उनके रंग से !
जाना नहीं किसी ने मेरी क्या जमी है, क्या ख़ुशी है,
सब नाम के ही हैं रिश्तें, बर्फ चेहरों पे जमी है,
फिर भी मैंने तो निभाए सारे रिश्तें दिल-ओ-जां से !दोस्तों देर से सही मगर.......
आज हमने भी जाना इस जहाँ को,
यही दास्तान-ए-जिंदगी है दुनियां लफ्जों से भरी है
खुद को बना लो संगदिल यही सीखा हमने इस जहाँ से!
ना अब वो दिन है ना वो रात ही रही !
अजीब सी उलझन में ज़िन्दगी उलझी है मेरी,
कभी गम है अपना साया तो कभी बेनाम सी ख़ुशी है,
ना अब वो हैं, ना वो अब मैं हूँ !
किस पे करूँ भरोसा किस से करूँ शिकवा,
चाहा तो सभी ने पर अपने अपने ढंग से,
रंग तो गया मैं सभी से, पर उनके रंग से !
जाना नहीं किसी ने मेरी क्या जमी है, क्या ख़ुशी है,
सब नाम के ही हैं रिश्तें, बर्फ चेहरों पे जमी है,
फिर भी मैंने तो निभाए सारे रिश्तें दिल-ओ-जां से !दोस्तों देर से सही मगर.......
आज हमने भी जाना इस जहाँ को,
यही दास्तान-ए-जिंदगी है दुनियां लफ्जों से भरी है
खुद को बना लो संगदिल यही सीखा हमने इस जहाँ से!