Friday, June 14, 2013

उसकी दिल्लगी ...............................................................!!

रोज कहती है तेरे सीने पे सर रख के रात भर जगुंगी,
उसकी दिल्लगी तो देखो यारों ...
सर-ए-शाम ही आज फिर सुला गई पिछली रात की तरह !
मेरे ही दिल में वो बना गई आशियाँ अपनी यारों...,
और मैं शहर भर में ढूंढता रहा उसे पागल के तरह !!

धीरे से सरकती है रात उसकी आँचल की तरह,
चेहरा उसका नज़र आता है झील मैं कमल की तरह !
बरसों बाद आज जब उसको देखा तो दिल को कुछ यूँ लगा,
जैसे प्यासी जमीं पे कोई बरस गया बादल की तरह !!
मुझे तो मौत की खौफ का भी खोफ नहीं है अब ......,
मुझे तो बस अब अपने ही यारों से खौफ आता है!!

Monday, February 18, 2013

किस पे करूँ भरोसा ...................................!!!

क्या बताऊँ यारों अब बताने को कुछ भी नहीं,
ना अब वो दिन है ना वो रात ही रही !
अजीब सी उलझन में ज़िन्दगी उलझी है मेरी,
कभी गम है अपना साया तो कभी बेनाम सी ख़ुशी है,
ना अब वो हैं, ना वो अब मैं हूँ  !
किस पे करूँ भरोसा किस से करूँ शिकवा,
चाहा तो सभी ने पर अपने अपने ढंग से,
रंग तो गया मैं सभी से, पर उनके रंग से !

जाना नहीं  किसी ने मेरी क्या जमी है, क्या ख़ुशी है, 
सब नाम के ही हैं रिश्तें, बर्फ चेहरों पे जमी है, 
फिर भी मैंने तो निभाए सारे रिश्तें दिल-ओ-जां से !
दोस्तों देर से सही मगर.......
आज हमने भी जाना इस जहाँ को,
यही दास्तान-ए-जिंदगी है दुनियां लफ्जों से भरी है 
खुद को बना लो संगदिल यही सीखा हमने इस जहाँ से!

Saturday, February 16, 2013

ख्वाबों में मुलाक़ात तो हो जाती है ! .............................!



हाल-ए-दिल कब तक सूनाते रह गए उनको ,
रोज़ की तरह, रोज़ कोई न कोई नई बात हो जाती है!
 
गम सुनाने के लिए भी, एक और चाहिए हमें,
क्यूंकि फलक से भी अक्सर बरसात हो जाती है!


होती है सुबह फिर ये रात हो जाती है,
चलो अच्छा है सितारों से बात हो जाती है !
 

चाँद  भी हमसे मिलता, अक्सर सिर्फ आधा-आधा,
फिर भी अच्छा है अक्सर हमसे मुलाक़ात हो जाती !

रात की  चांदनी में, नींद का गलिव आ जाना,अक्सर
हसीन है, ख्वाबों में मुलाक़ात तो हो जाती है 

C-DAC का सॉफ्टवेर इंजिनियर .........................!!

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आओ सुनो CDAC के सॉफ्टवेर इंजिनियर के जीवन की कुछ सच्ची पंक्तियाँ!
वो देखो CDAC का सॉफ्टवेर इंजिनियर जा रहा है !

रोड पे भी प्रोजेक्ट प्रोजेक्ट रटता जा रहा है,
देखो जरा प्रोजेक्ट के बोझ से दबा जा रहा है,
वो देखो CDAC का सॉफ्टवेर इंजिनियर जा रहा है !

ज़िन्दगी से हार चुका है पर बग्स इसे हरा नहीं सकता है,
अपने एप्लीकेशन के एक एक लाइन इसे रटा हुआ है,
वो देखो CDAC का सॉफ्टवेर इंजिनियर जा रहा है !

ये नींद में भी सोचता है अब टेक्निकल छोड़ देना है,
ये तो साइंटिस्ट से टेक्निकल ऑफिसर बनता जा रहा ह,
वो देखो CDAC का सॉफ्टवेर इंजिनियर जा रहा है !


कभी ये Kbps, Mbps से खुश था,
आज देखो इसे Gbps भी कम पड़ रहा है,
कभी टेरा-पेटा की भूख थी, आज देखो जेटा-योट्टा रटता  जा रहा है !
वो देखो CDAC का सॉफ्टवेर इंजिनियर जा रहा है !

आज कौन से रंग के मोज़े पहने है, ये नहीं जानता है,
कभी P.O.C कभी T.O.T कभी M.O.M में उलझा रहता है,
दिन-पर-दिन एक एक्सेल फाइल बनाता जा रहा है,
वो देखो CDAC का सॉफ्टवेर इंजिनियर जा रहा है !

दस हजार लाइन के कोड में error ढूंढ लेता है,
मगर दोस्तों की नम आँखे इसे दिखाई नहीं देती हैं,
कंप्यूटर पे हजार विंडोज खूले हैं, पर
दिल की खिड़की पे कोई दस्तक इसे सुनाई नहीं देता है,
ये सैटरडे- सन्डे में भी ऑफिस में पाया जाता है,
वो देखो CDAC का सॉफ्टवेर इंजिनियर जा रहा है !

रात को  सोता नहीं, क्यूंकि Deadline इसे सता रहा है, 
कोडिंग करते करते पता नहीं इसे बग्स कब माँ बाप बन गए,
देखो इसे बग्स से पड़ेशान माँ बाप का फ़ोन काट रहा है,
किताबों में गुलाब रखने वाला ,सिगरेट के धुएं में खो गया
वो देखो CDAC का सॉफ्टवेर इंजिनियर जा रहा है !

दिल की ज़मीन से अरमानो की विदाई हो गई,
वीकेंड पे अकेले ही जशन मना रहा है,
वो  देखो CDAC का सॉफ्टवेर इंजिनियर जा रहा है !

मज़े लेने हो इसके तो पूछ लो सैलरी कब बढ़ा रहा है,
हंसी उड़ानी हो तो पूछ लो "onsite" कब जा रहा है,
वो देखो "onsite" से लौटे दोस्तों की चोकलेट खा रहा है,
खर्चे बढ़ रहे हैं , बाल कम हो रहे हैं
लो फिर से बस छूट गई, ऑटो से आ रहा है !
वो  देखो CDAC का सॉफ्टवेर इंजिनियर जा रहा है !


Gopal Jee Mishra
CNIE , CDAC Bnagalore
gopaljee@cdac.in 

Thursday, January 31, 2013

मैं कहाँ खो गया........................................ !!

क्या बताऊँ दोस्तों मैं कहाँ खो गया इस भीड़ में 
मौसम तो आज भी सुन्हेरा है मगर हाल खो गया ,
वो रोब-ओ-दबदबा, वो सूरते आलम खो गया !
वो हुस्न बे मिसाल, वो जमाल(beauty) खो गया 
डूबे हैं जवाबों में पर सवाल खो गया,
क्या बताऊँ दोस्तों मैं कहाँ खो गया !
उरते जो फिजाओं में थे रफ़्तार न रहे !
उनका क्या बताऊँ मैं, वो दिन ना रहे, 
उनका वो अंदाज़-ऐ बेमिसाल खो गया.
ना ज़मीन रहा, ना वो लोग रहे !
क्या बताऊँ दोस्तों मैं कहाँ खो गया ....?

Sunday, January 27, 2013

तुम मेरी हो, प्यार से नहीं जिद से सही! ..............................!!

तुम मेरी हो, प्यार से नहीं जिद से सही!
नहीं दरवाज़ा जो खुल सकता तो खिड़की सही!
मैंने तो बस यूँ ही पूछा था की ....
मेरी होने में, तेरी बिगरता क्या है ?
वो बोली तेरी होने में, तुमको मिलता क्या है !!
क्या बताऊँ ये तो मैंने सोचा ही नहीं था,,,,,
मेरी होने में उसका, मुझे मिलता क्या है।
मैंने कुछ यूँ समझाने की कोशिस की यारों ..

देख मेरी मोहब्बत एक निशाब जैसा,
देख तेरा चेहरा एक किताब जैसा,
आज भी महकता है मेरे जानो जिगर में,
तेरा चेहरा एक खिलते गुलाब जैसा।
यकीन भी हैं तू मेरे दिल का,
गुमान भी हैं शराब जैसा।।।।
तू वो बासूरी हैं जो रख दूँ होंठ अपनी मैं,
तो दिल को मेरे छू ले रुबाब जैसा ......!!
मैं तो तेरा ऐतबार करता हूँ, दिलो जां से,
इसलिए आज भी इंतज़ार करता हूँ !!
इसलिए आज भी कहता हूँ दुनियां से
तुम मेरी हो, प्यार से नहीं जिद से सही!!


Saturday, September 22, 2012

दोस्ती.............................!

ए दुनियां वालों तुझे क्या कहूँ,
जब अपनों ने ही कुछ कहने ना दिया!
जब जरूरत थी मुझे उनकी......!!
तुम भी सुनो उसने जो कह,,,,,,,,,,,,,,
तलाश करो कोई तुम्हे मिल जायेगा !
दोस्तों मैं क्या कहूँ, उन्हें,,,,,,,,??
हमारी तरह उन्हें कोन चाहेगा!
ज़रूर कोई चाहत भरी नज़रों से देखेगा उन्हें,
मगर आँखें हमारी तरह कहाँ से लायेगा यारों !
उनकी थोड़ी-थोड़ी सांसों के लिए ,,,,,,,,
हमने अपनी ज़िन्दगी बेचीं यारों !
परछाइयों से तंग आके उनके,
हमने अपनी रौशनी बेचीं यारों !
अब जाने भी दो यारों, अब तो
आँखों में मेरे बस आँसू ही रह गए,
वरना दुनियां वालों ने तो दोस्ती भी बेचीं यारों !!