हाल-ए-दिल कब तक सूनाते रह गए उनको ,
रोज़ की तरह, रोज़ कोई न कोई नई बात हो जाती है!
गम सुनाने के लिए भी, एक और चाहिए हमें,
क्यूंकि फलक से भी अक्सर बरसात हो जाती है!
होती है सुबह फिर ये रात हो जाती है,
चलो अच्छा है सितारों से बात हो जाती है !
चाँद भी हमसे मिलता, अक्सर सिर्फ आधा-आधा,
फिर भी अच्छा है अक्सर हमसे मुलाक़ात हो जाती !
रात की चांदनी में, नींद का गलिव आ जाना,अक्सर
हसीन है, ख्वाबों में मुलाक़ात तो हो जाती है !
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