मुझे हर ख़त मैं लिखती है !
मुझे तुम याद करते हो ?
तुम्हे मैं याद आती हूँ ?
मेरी बातें तुम्हे सताती हैं ?
मेरी नींदें जगाती हैं ?
मेरी आंखें रुलाती हैं ?
जेष्ट की सुनहरी धूप में अब भी ताकते हो
किसी खामोश रास्ते से कोईआवाज़ आती है!
इन्तहा सर्द रातों में तुम अब भी छत पर जाते हो,
फलक के सब सितारों को मेरी बातें सुनाते हो !
किताबों से तुमहारे इश्क में कोई कमी आई,
या मेरी याद की सीद्दत से आँखों में नमी आई ?
अजब पागल सी लड़की है मुझे हर ख़त में लिखती है !!
जवाबों में मैं उस को लिखता हूँ !
मेरी मुस्रूफियत तो देखो सुबह से शाम
ऑफिस में मैं चिराग-ऐ-उमर जलाता हूँ !
फिर वक़्त मिलता है तो दुनियां की कई
मजबूरियां पाऊँ में बेरी ड़ाल रखती हैं !

बूझे बेफिक्र चाहत है, बड़े सपने नहीं आते,
टहलने,जागने,रोने की मोहल्लत नहीं मिलती !
सितारों से मिले तो अरसा हो गया,
नाराज़ हो शायद !
किताबों से दोस्ती मेरी अभी वैसे ही कम है,
फर्क अब इतना है उन्हें अब अरसों में पढ़ता हूँ !
तुम्हे किस ने कहा पगली तुम्हे मैं याद करता हूँ ?
की मैं खुद को भुलाने की मुस्तकिल जुस्तजू है,
मगर यह जुस्तुजू मेरी बहुत नाकाम रहती है !
तुम्हे किस ने कहा पगली तुम्हे में याद करता हूं ?
मेरे दिन रात में अब भी तुम्हारी शाम रहती है,
मेरे लफ्ज़ो की हर माला तुम्हारे नाम रहती है !
तुम्हे किस ने कहा पगली तुम्हे मैं याद करता हूँ ?
पुरानी बातें है जो लोग अक्सर गुनगुनाते हैं,
उन्हे हम याद करते है जिन्हे हम भूल जाते है !
तुम्हे दील से भुलाऊँ ,तो तुम्हारी याद आए ना ?
तुम्हे दिलसे भुलाने की मुझे फुर्सत नहीं मिलती,और
इस मसरूफ जीवन मैं तुम्हे ख़त का एक जुम्ला,
तुम्हे मेरी याद आती है ?
मेरी चाहत की सिद्त्त, मैं कमी होने नहीं देता
बहुत रातें जगाता है मुझे सोने नहीं देता ,
अगली बार अपने ख़त में यह जुम्ला नहीं लिखना !
अजब पागल सी लड़की है मुझे फिर भी यह लिखती है !
मुझे तुम याद करते हो, तुम्हे मेरी याद आती है?
मुझे तुम याद करते हो, तुम्हे मेरी याद आती है?
मुझे तुम याद करते हो,तुम्हे मेरी याद आती है?
ओ कैसी पागल लड़की है,मुझे फिर भी लिखती है ,
ओ एक पागल लड़की है मुझे फिर भी लिखती है !
अजब पागल लड़की है, मुझे हर ख़त में लिखती है !
मुझे तुम याद करते हो , तुम्हे मेरी याद आती है ?
.......................mishra ......................................!!