Thursday, September 22, 2011

क्या दिन थे मोहब्बत के ......................!! ........................................................

...........Love Never Die........ 
अजब दिन थे मोहब्बत के
वो अजब दिन थे रफ़ाक़त(Closeness)के,

कभी अगर याद आ जायें तो
पलकों पे सितारे झिल्मीलाते हैं !

किसी की याद में रात को अक्सर
जागना मांमुल था अपना ,

कभी अगर नींद आ भी जाती,तो
हम ये सोच लेते थे,अभी तो वो

हमारे वास्ते रोया नहीं होगा
अभी तो सोया नहीं होगा !
अभी हम भी नहीं रोते,
अभी हम भी नहीं सोते,

और फिर हम जागते थे,
और उसको याद करते थे !

अकेले बैठ कर वीरान दिल आवाद करते थे !

हमारे सामने तारों की झुरमुट में,
अकेला चाँद होता था,जो उसके
हुस्न के आगे बहुत ही माद(feeka) होता था !
पलक पर रस्क करते अन्गिनत रौशन सितारों को,

जो हम तर्तीब(combine)देते थे, तो उसका नाम बनता था !

हम अगले रोज जब मिलते थे, तो
गुजरे रात की हर वे-कली का जिक्र करते थे,
हर एक किस्सा सुनाते थे !

कहाँ किस वक़्त किस तरह से,
दिल धड़का तुम्हे याद करके बताते थे !

मैं जब कहता की जाना ,आज तो
मैं रात को एक पल भी नहीं सोया,
तो वो बीना कुछ कहे खामोश रहती थी!

पर उसकी नींद में डूबी दो झील सी आँखे,
अचानक बोल उठती थी , की तुम झूठ कहते हो!

मैं जब उसको बताता था,की मैंने
रात के रौशन सीतारों में तुम्हारा नाम देखा है,तो

वो कहती तुम झूठ कहते हो, सितारें तो मैंने देखी थी,
और उसमे तुम्हारा नाम लिखा देखा था !

क्या अजब मासूम लड़की थी
मुझे कहती थी लगता है, अब
अपने सितारें मिल ही जायेंगे !

मगर उसको क्या खबर थी ?
किनारे मिल नहीं सकती ,
मोहब्बत के कहानी में !

मोहब्बत करने वालों के,
सितारें मिल नहीं सकते,
मोहब्बत की कहानी में !

मगर मुझे मालूम है की
मोहब्बत करने वालों के,
सितारें कभी मुरझा नहीं सकते,
मोहब्बत की कहानी में !!!

क्या वो अजब मासूम लड़की थी !!
..........Mishra......................!!!