क्या बताऊँ दोस्तों मैं कहाँ खो गया इस भीड़ में
मौसम तो आज भी सुन्हेरा है मगर हाल खो गया ,
वो रोब-ओ-दबदबा, वो सूरते आलम खो गया !
वो हुस्न बे मिसाल, वो जमाल(beauty) खो गया
डूबे हैं जवाबों में पर सवाल खो गया,
क्या बताऊँ दोस्तों मैं कहाँ खो गया !
उरते जो फिजाओं में थे रफ़्तार न रहे !
उनका क्या बताऊँ मैं, वो दिन ना रहे,
उनका वो अंदाज़-ऐ बेमिसाल खो गया.
ना ज़मीन रहा, ना वो लोग रहे !
क्या बताऊँ दोस्तों मैं कहाँ खो गया ....?
मौसम तो आज भी सुन्हेरा है मगर हाल खो गया ,
वो रोब-ओ-दबदबा, वो सूरते आलम खो गया !
वो हुस्न बे मिसाल, वो जमाल(beauty) खो गया
डूबे हैं जवाबों में पर सवाल खो गया,
क्या बताऊँ दोस्तों मैं कहाँ खो गया !
उरते जो फिजाओं में थे रफ़्तार न रहे !
उनका क्या बताऊँ मैं, वो दिन ना रहे,
उनका वो अंदाज़-ऐ बेमिसाल खो गया.
ना ज़मीन रहा, ना वो लोग रहे !
क्या बताऊँ दोस्तों मैं कहाँ खो गया ....?