Tuesday, February 8, 2011

आओ तो सही .........................


आओ तो  कभी  देखो  तो  जरा 
हम  कैसे  जिए  तेरी  खातीर!
दिन रात जलाये बैठे हैं 
आँखों के दिए तेरी खातीर!

आओ तो कभी देखो तो जरा 
हम कैसे जिए तेरी खातीर!
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एक नाता तुझसे जोर लिया 
सब अपनों से मुह मोड़ लिया!

हम तन्हा होकर बैठ गए 
सब छोर दिए तेरी खातीर!

आओ तो कभी देखो तो जरा
हम कैसे जिए तेरी खातीर !
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कुछ आहें थी कुछ सीक्वे थे
होंठों पर जिन्हें आने ना दिया !

जो आँख के रस्ते भी आये  
सब अस्क पीये तेरी खातीर !

आओ तो कभी देखो तो जरा 
हम कैसे जिए तेरी खातीर !
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बदनाम ना तू हो जाये कहीं 
इन अपनी जफवों के बदले !

बिन तेरे गमो पे खुशओं के   
सों(100) परदे किये तेरी खातीर !

आओ तो कभी देखो तो जरा
हम कैसे जिए तेरी खातीर !
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मेरे खूने जिगर का दाग कहीं  
दामन पे तेरे ना लग जाये कहीं !

एक एहदे वफ़ा के धागे से
सब ज़ख्म सिये तेरी खातीर ! 

आओ तो कभी देखो तो जरा 
हम कैसे जिए तेरी खातीर !
.............
हम सब कुछ अपना हार गए 
बर्वाद हुए पर तू ना मीला !

बेकार जहाँ में जीने के  
इल्जाम लीए तेरी खातीर ! 

आओ तो कभी देखो तो जरा 
हम कैसे जिए तेरी खातीर !
दिन  रात जलाये बैठे हैं 
आँखों क दिए तेरी खातीर !

आओ तो कभी देखो तो जरा 
हम कैसे जिए तेरी खातीर !
...........collection  ATTAULLA KHA................. !

Time & Luck.................

कभी नजरें मिलाने में ज़माने बीत जाते हैं
कभी नजरें चुराने में ज़माने बीत जाते हैं!

किसी ने आंख भी खोली तो सोने की नगरी में
कीसी को घर बनाने में ज़माने बीत जाते हैं!

कई काली सिआह रातें हमें इक पल की लगती हैं
कभी इक पल बिताने में ज़माने बीत जाते हैं!


कभी खुला दरवाज़ा खरी थी सामने मंजिल
कभी मंजिल को पाने में ज़माने बीत जाते हैं!


इक पल में टूट जाते हैं उमर भर के रिश्ते
वो रिश्ते जो बनाने में ज़माने बीत जाते हैं!

................Mishra............................