कभी नजरें मिलाने में ज़माने बीत जाते हैं
कभी नजरें चुराने में ज़माने बीत जाते हैं!
किसी ने आंख भी खोली तो सोने की नगरी में
कीसी को घर बनाने में ज़माने बीत जाते हैं!
कीसी को घर बनाने में ज़माने बीत जाते हैं!
कई काली सिआह रातें हमें इक पल की लगती हैं
कभी इक पल बिताने में ज़माने बीत जाते हैं!
कभी इक पल बिताने में ज़माने बीत जाते हैं!
कभी खुला दरवाज़ा खरी थी सामने मंजिल
कभी मंजिल को पाने में ज़माने बीत जाते हैं!
कभी मंजिल को पाने में ज़माने बीत जाते हैं!
इक पल में टूट जाते हैं उमर भर के रिश्ते
वो रिश्ते जो बनाने में ज़माने बीत जाते हैं!
................Mishra............................
वो रिश्ते जो बनाने में ज़माने बीत जाते हैं!
................Mishra............................
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