Monday, January 24, 2011

सिर्फ तुम्हारे लिए .....................................


जब से तुम्हे देखा है जी करता है
कुछ ना कुछ लिखूँ !


तेरे गालों पे लिखूँ 
चाहें बालों पे लिखूँ
तेरे लबों पे लिखूँ
चाहे नैनों पे लिखूँ !


मगर कुछ ना कुछ लिखूँ ऐसा,
जैसा किसी ने ना लिखा हो,
तुमहारे लिए !


तेरा चेहरा फूलों की तरह खूबसूरत है
तेरे होंठ गुलाब की पंखुड़ियों से नरम है
तेरे गालों के उभार, मानो छोटे-छोटे पर्वतों की शिखाएँ है
तेरी आँखे झीलों सी निर्मल,समुन्द्र सी गहरी है
तेरी बातों में एक अजब सी जादुगरी है !


मगर यह सब तो पहले ही लिख चुके हैं
बहुत से कवि, मैं तो लिखना चाहता हूँ
कुछ नया जो सिर्फ तुम्हारे लिए हो !


सिर्फ तुम्हारे लिए,
जैसे मैं हूँ सिर्फ तुम्हारे लिए !


मगर जानें क्यूँ कुछ भी नहीं सूझ रहा
मेरी कलम भी आज खामोश है
शायद नहीं बचा अब कुछ भी नया
तुमहारे लिए !


या फिर
तुम्हे शब्दों में पीरों पाना संभव नहीं
कम से कम मेरे लिए !


मगर फिर भी मैं कोशिश करूंगा
कुछ ना कुछ नया लिखने की
तुम्हारे लिए !


क्योंकि मेरा जी करता है लिखूँ
कुछ ना कुछ नया
तुम्हारे लिए
सिर्फ तुम्हारे लिए !

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