बात चली तेरी आँखों से
जा पहुंची पैमाने तक !
खींच रही है तेरी उल्फत
आज मुझे मैख़ाने तक !
इश्क की बातें गम की बातें
दुनया वाले करते हैं !
किसने शम्मा का दुःख देखा
कोन गया परवाने तक !
इश्क नहीं है तुम को मुझसे
सिर्फ इश्क के बहाने करती हो !
यूं ही बहाने कायम रखना
तुम मेरे मर जाने तक !
इतना ही कहना है तुमसे
मुमकिन हो तो आ जाना!
अब आही गये तो रुकना होगा
आँखों के पथराने तक !
बात चली तेरी आँखों से!
जा पहुंची पैमाने तक !
....................Mishra !
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