Saturday, October 16, 2010

FEEL IT FROM HEART>>>>>>

मैं कोई लेखक नहीं,
मैं कोई सायर नहीं ,
ना मैं कोई रचनेवाला रचेता हूँ !!


मेरे शब्द कीसी सायर की सायरी नहीं ,
कीसी ग़ालिब की ग़ज़ल नहीं ,
मेरी लीखावट कीसी कीताब की नक़ल नहीं!!

ये तो मेरे गुजरे हुए कल की ,
दर्द -इ -नुमा पन्नों के पहलूँ है !!

इसे कीसी कवी की कविता ना शमझ बैठना ,
इसे कीसी सायर की सायरी ना शमझ बैठना ,
ये तो मेरे तेरी चाहत की नीशानी है !!

मैंने हर एक शब्द को अपने दील से उतरा है ,
एक एक शब्द को तेरी इंतेजार की धुप से सीचा है ,
इसे सीर्फ शब्द ना शमझ ना !

इसमें तेरी चाहत का दर्द है ,
दील से शमझ्ना, इसके हर शब्द को ,
दील से लगा कर महशुस करना हर शब्द को!!

तुझे मेरे दीवानेपन की एह्स्सास होगा ,
ऐ दीवानों की दील की आवाज़ है,
दील से महसूस करना इस शब्द को !!

ऐ ओ दीवानेपन के दर्दे शाम की शब्द हैं,
जो तुझे भी दीवाना कर देंगे, दर्दे उस शाम के !!

इसे सीर्फ ग़ालिब की ग़जल मत शम्झ्ना!


मैं कोई ग़ालिब नहीं,
ऐ कोई ग़जल नहीं !!

मैं कोई शयर नहीं
ऐ कोई सायरी नहीं !!

मैं कोई लेखक नहीं
ऐ कोई कहानी नहीं !!

मैं तो दीवाना हूँ , तेरी चाहत का ,
और ऐ शब्द मेरी दीवानगी की नीशानी!!!


आ तू भी बन जा दीवाना,
साथ दे मेरे दीवानेपन को!!

मैं कोई ग़ालिब नहीं ,
ये कोई ग़ज़ल नहीं !!!


!!!.........Mishra....!!!

1 comment:

Anonymous said...

tu shayar badnaam!