ए दुनियां वालों तुझे क्या कहूँ,
जब अपनों ने ही कुछ कहने ना दिया!
जब जरूरत थी मुझे उनकी......!!
तुम भी सुनो उसने जो कह,,,,,,,,,,,,,,
तलाश करो कोई तुम्हे मिल जायेगा !
दोस्तों मैं क्या कहूँ, उन्हें,,,,,,,,??
हमारी तरह उन्हें कोन चाहेगा!
ज़रूर कोई चाहत भरी नज़रों से देखेगा उन्हें,
मगर आँखें हमारी तरह कहाँ से लायेगा यारों !
उनकी थोड़ी-थोड़ी सांसों के लिए ,,,,,,,,
हमने अपनी ज़िन्दगी बेचीं यारों !
परछाइयों से तंग आके उनके,
हमने अपनी रौशनी बेचीं यारों !
अब जाने भी दो यारों, अब तो
आँखों में मेरे बस आँसू ही रह गए,
वरना दुनियां वालों ने तो दोस्ती भी बेचीं यारों !!
जब अपनों ने ही कुछ कहने ना दिया!
जब जरूरत थी मुझे उनकी......!!
तुम भी सुनो उसने जो कह,,,,,,,,,,,,,,
तलाश करो कोई तुम्हे मिल जायेगा !
दोस्तों मैं क्या कहूँ, उन्हें,,,,,,,,??
हमारी तरह उन्हें कोन चाहेगा!
ज़रूर कोई चाहत भरी नज़रों से देखेगा उन्हें,
मगर आँखें हमारी तरह कहाँ से लायेगा यारों !
उनकी थोड़ी-थोड़ी सांसों के लिए ,,,,,,,,
हमने अपनी ज़िन्दगी बेचीं यारों !
परछाइयों से तंग आके उनके,
हमने अपनी रौशनी बेचीं यारों !
अब जाने भी दो यारों, अब तो
आँखों में मेरे बस आँसू ही रह गए,
वरना दुनियां वालों ने तो दोस्ती भी बेचीं यारों !!
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