Saturday, September 22, 2012

दोस्ती.............................!

ए दुनियां वालों तुझे क्या कहूँ,
जब अपनों ने ही कुछ कहने ना दिया!
जब जरूरत थी मुझे उनकी......!!
तुम भी सुनो उसने जो कह,,,,,,,,,,,,,,
तलाश करो कोई तुम्हे मिल जायेगा !
दोस्तों मैं क्या कहूँ, उन्हें,,,,,,,,??
हमारी तरह उन्हें कोन चाहेगा!
ज़रूर कोई चाहत भरी नज़रों से देखेगा उन्हें,
मगर आँखें हमारी तरह कहाँ से लायेगा यारों !
उनकी थोड़ी-थोड़ी सांसों के लिए ,,,,,,,,
हमने अपनी ज़िन्दगी बेचीं यारों !
परछाइयों से तंग आके उनके,
हमने अपनी रौशनी बेचीं यारों !
अब जाने भी दो यारों, अब तो
आँखों में मेरे बस आँसू ही रह गए,
वरना दुनियां वालों ने तो दोस्ती भी बेचीं यारों !!

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