Thursday, October 20, 2011

चाँद सी सनम अपनी ..............................................!!

ए सनम जिस खुदा ने तुझे चाँद सी सूरत दी है,
उसी खुदा ने मुझ को भी तुमसे मोहब्बत दी है !!

दिल-व-जान, दीन-ओ-ईमान जो लेना है सनम लेलो,
करेंगे देर देने में ना हम, चाहो तो क़सम लेलो !!

मेरा जो दिल है सनम खानाः है हसीनो के
हज़ारों सूरतें हैं इसमें मगर एक बस्ती है !!

उलट दे ए सनम तू नकाब-ए-रुख को चेहरे से,
कभी तो देख लें हम जड़ा तुम्हारी सूरत!!

बला से जो दुश्मन हुआ है किसी का,
वो काफ़िर सनम क्या खुदा है किसी का!!
.................Mishra........................!!

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