दोस्ती का जो किया करते हैं दावा हर वक़्त,
वक़्त पड़ता है तो सब आँख चुरा लेते हैं!!
मैं हैरान हूँ की क्यों उन से हुई थी दोस्ती अपनी,
मुझे कैसे गवारह हो गयी थी दुश्मनी अपनी !!
दोस्तों से इस क़दर सदमे उठाए जान पर, की
दिल से दुश्मन की अदावत का गिला: ना रहा !!
अब तो हमे फूलों से अछे काँटों की दोस्ती ही लगती,
वक़्त पड़ता है तो सब आँख चुरा लेते हैं!!
मैं हैरान हूँ की क्यों उन से हुई थी दोस्ती अपनी,
मुझे कैसे गवारह हो गयी थी दुश्मनी अपनी !!
दोस्तों से इस क़दर सदमे उठाए जान पर, की
दिल से दुश्मन की अदावत का गिला: ना रहा !!
अब जब फूलों ने की हमसे बे-वफाई तो,
अब मैं कैसे करूँ कांटो से सिकायत अपनी!!
अब जब फूलों ने चुभो दिए खान्ज्हर सीने में मेरे,
तो मैं कांटो से क्या करूँ उमीदे-वफ़ा चाहत्त की !!
अब तो हमे फूलों से अछे काँटों की दोस्ती ही लगती,
कम से कम कांटे तो बदनाम है दर्द देने के लिए !!
हमे तो मालूम था की दोस्ती में बे-वफाई नहीं होती!
पर क्या करे दोस्ती की है तो वफाई तो करना होगा,
दोस्ती में दोस्त के दिए हर दर्द तो सहना होगा...!!
............................Mishra...............................!!
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