Friday, December 17, 2010

हम तो तेरी बातें ही सुनाने आये...............!!

हम तो तेरी बातें ही सुनाने आये ,
दोस्त भी दील ही दुखाने आये !



फूल खिलते हैं तो,हम सोचते हैं ,
अब तेरे हुस्न में निखर आये ,
तेरे आने के शाम आये !

हम तो तेरी बातें ही सुनाने आये !!

ऐसे कोई छुपने से लगते हैं, जैसे
हम उन्हें दर्दे हाल अपनी सुनाने आये !!

इश्क तन्हा है सर-ऐ-मंजिल-ऐ-गम ,
कौन ये बोझं उठाने आये !!

हम तो तेरी बातें ही सुनाने आये !!

अजनबी क्यूँ हो जाते?दोस्त हमें देख के,
हम कुछ तुझे याद दिलाने आये !!

दील धक्–धक् धधकता है ,
सफ़र के हंगामे सोच कर,
काश फिर कोई बुलाने आये !!

हम तो तेरी बातें ही सुनाने आये !!

अब तो रोने से भी दील दुखता है,
शायद अब होश ठिकाने आये !!

हम तो तेरी बातें ही सुनाने आये !!

क्या कहीं फिर कोई बस्ती उजड़ी,
लोग क्यूँ-न-जाने जशन मनाने आये !!

हम तो तेरी बातें ही सुनाने आये !!

सो रहा मौत के पहलुओं में "फ़र्ज़",
नींद किस वक़्त ना-जाने आये ,
रात किस वक़्त ना-जाने आये!!

हम तो तेरी बातें ही सुनाने आये !!

अब तो इंतजार है,बुलबुल की चू-चू की,
सुबह किस वक़्त ना जाने आये .......!!
दोस्त किस वक़्त ना-जाने आये.......!!

हम तो तेरी बातें ही सुनाने आये .....!!

No comments: