Friday, December 31, 2010

मैं और मेरी तन्हाई ............................................................................

रहते हैं साथ-साथ मैं और मेरी तन्हाई 
करते हैं राज़ की बात मैं और मेरी तन्हाई !


दिन तो गुज़र ही जाता है औरों की भीड़ में
करते हैं बसर रात में मेरी तन्हाई !


साँसों का क्या भरोसा कब छोड़ जायें साथ 
लेकिन रहेगे साथ मैं और मेरी तन्हाई !
Beautiful yaadein


आये ना तुम्हे याद कभी भूल कर भी,हम 
करते हैं तुम्हे याद मैं और मेरी तन्हाई !


आ के पास क्यूँ दूर हो गए हम से,तुम 
करते हैं तेरी तलाश मैं और मेरी तन्हाई !


तुम को रखेंगे साथ ज़न्नत  बना के घर की 
रह जायें फिर ना तनहा मैं और मेरी तन्हाई !


ये दील मुझ में है मेरा ना रहा 
रह गए मैं और मेरी तन्हाई !


ये दील जो मुझ में है तेरा हो गया 
रह गए तन्हा मैं और मेरी तन्हाई !



रातों को जब तुम तकिये से लिपटी होती 
तो हो जाता तन्हा मैं और मेरी तन्हाई !


दील का क्या भरोसा कब कीसी और का हो जाये 
हो जायेंगे फिर तन्हा मैं और मेरी तन्हाई !


में और मेरी तन्हाई ...........mishra..................!

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